ब्लॉग

चुनावी मकसद से भारत जोड़ो यात्रा

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का घोषित मकसद चाहे जो भी हो पर इसमें कोई संदेह नहीं है कि यात्रा की पूरी प्लानिंग लोकसभा और अगले साल होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रख कर की गई है। राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रही भारत जोड़ो यात्रा उन्हीं राज्यों से गुजरेगी, जिन राज्यों में कांग्रेस को कुछ उम्मीद है। कांग्रेस ने पहली बार इस तरह की लक्षित योजना बनाई है। उसे पता है कि जिन राज्यों में कुछ हासिल नहीं होने वाला है उन राज्यों में यात्रा या तो नहीं जा रही है या बहुत थोड़े समय के लिए जा रही है। जिन राज्यों में कांग्रेस को यह भी पता है कि सहयोगी अनिवार्य हैं और उनके बिना राजनीति नहीं हो सकती है उन राज्यों को भी कांग्रेस ने छोड़ दिया है।

मिसाल के तौर पर तमिलनाडु को लिया जा सकता है, जहां कांग्रेस की यात्रा सिर्फ तीन दिन चली। पहले दिन कन्याकुमारी में कार्यक्रम में हुआ और उसके बाद तीसरे दिन यात्रा केरल पहुंच गई। कांग्रेस को पता है कि तमिलनाडु में उसकी राजनीति डीएमके के सहारे चलनी है इसलिए ज्यादा जोर लगाने की जरूरत नहीं है। केरल जैसे छोटे राज्य में कांग्रेस की यात्रा 19 दिन चलेगी और कर्नाटक में 21 दिन राहुल गांधी पदयात्रा करेंगे। दक्षिण भारत के राज्यों में इस तरह की यात्राएं सफल होती रही हैं। तेलंगाना में भी कांग्रेस की यात्रा 13 दिन रहेगी। इस तरह 148 दिन की यात्रा में 53 दिन राहुल गांधी दक्षिण भारत के तीन राज्यों में बिताएंगे।

इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की स्थिति अच्छी है। केरल में तो उसके 15 सांसद हैं और यूपीए ने कुल 20 में से 19 सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस को यह प्रदर्शन दोहराना है। इसलिए राहुल की यात्रा काम आएगी। कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस को सहयोगी मिल सकते हैं। कर्नाटक में जेडीएस और तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव। लेकिन कांग्रेस उससे पहले अपनी ताकत बढ़ाना और दिखाना चाहती है। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस का पिछले चुनाव का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था। इस बार बेहतर करने के लिए राहुल की यात्रा काम आएगी। अगर सहयोगी मिलते हैं तो ठीक नहीं तो कांग्रेस अकेले चुनाव में उतरेगी। ध्यान रहे दोनों राज्यों में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं।

इसी तरह अगले साल राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इन दोनों राज्यों में कांग्रेस अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद कर रही है। दोनों राज्यों में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीती थी। हालांकि मध्य प्रदेश में बाद में भाजपा ने कांग्रेस तोड़ कर अपनी सरकार बना ली। राजस्थान में राहुल की यात्रा 21 दिन और मध्य प्रदेश में 16 दिन रहेगी। इससे चुनाव का माहौल बनाया जाएगा। ऐसे ही कांग्रेस को पंजाब और हरियाणा से भी बड़ी उम्मीद हैं। तभी पंजाब में 11 और हरियाणा में 12 दिन राहुल गांधी पदयात्रा करेंगे। इसके उलट जहां उम्मीद नहीं है, जैसे उत्तर प्रदेश में तो वहां पांच दिन और दिल्ली में दो दिन की यात्रा होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *