राजनीति

ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में चार दिन की चांदनी के बाद पसरा सन्नाटा, चार दिन में निपटा छह दिन का कामकाज

देहरादून। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में चार दिन की चांदनी के बाद फिर सन्नाटा पसर गया। छह दिन का कामकाज चार दिन में निपटाने की करामात कर कई विधायक और अफसरान रातों-रात अपने-अपने गंतव्यों के लिए कूच कर गए। वाहनों से ठसाठस भराड़ीसैंण के परिसर में केवल खामोशी थी। जो लोग भराड़ीसैंण में होने वाले विधानसभा सत्रों के गवाह रहे हैं, वे जानते हैं कि यहां आने के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही वापसी के दिन गिनने लगते हैं। इस बार भी सत्र के पहले दिन से ही लोगों की जुबान पर एक ही सवाल तैर रहा था कि सत्र कितने दिन चलेगा।

पहाड़ की दुश्वारियां और भराड़ीसैंण की ठंड शायद कोई ज्यादा दिन झेलने को तैयार नहीं था। इसलिए हर बार की तरह इस बार भी आनन-फानन में सत्र निपटाने की पटकथा लिखी गई। इस पटकथा के किरदार पक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर थे। विरोध, नाराजगी, हंगामा और बगैर चर्चा के विधेयकों और विभागों के बजट की फटाफट मंजूरी इस पटकथा के प्रमुख हिस्से थे। भराड़ीसैंण से विदाई के लिए मंत्रियों, अफसरों और विधायकों को कड़ाके की ठंड में रात 10 बजे तक विधानसभा के सभामंडप में लगातार ही बैठना भी मंजूर था।

भराड़ीसैंण विधानसभा में 13 मार्च से राज्यपाल के अभिभाषण से बजट सत्र शुरू हुआ। विपक्ष ने ऐसे हंगामा काटा कि राज्यपाल को हाथ जोड़कर अनुरोध करना पड़ा कि कम से कम उनके अभिभाषण की आखिरी पंक्तियां ही सुन लें। विपक्ष ने उनकी ओर राज्यपाल गो बैक के नारे फेंके। सत्तापक्ष के लिए निशाना साधने का इससे बढ़िया मुद्दा ही नहीं था। लिहाजा बजट अभिभाषण पर चर्चा से ज्यादा सबका जोर कांग्रेस के सदन में किए आचरण को कोसने पर रहा। रही सही कसर कांग्रेस 15 विधायकों के निलंबन के मामले पूरी कर दी।

चर्चा के बहाने विधायकों को अपनी बात करने का अवसर मिलता लेकिन विधायक आदेश चौहान के निलंबन को लेकर सदन में कांग्रेस विधायकों के हंगामे से सदन की मर्यादा को तार-तार करने की एक और दुर्भाग्यपूर्ण नजीर पेश हुई। जैसे-तैसे मामला शांत हुआ तो मसला दूसरा मुद्दों पर बहस की वजह बना। बजट पर मैराथन चर्चा के बाद जब नेता सदन पुष्कर सिंह धामी ने अपनी बात रखी तो नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य को भी जोश आ गया। मगर सत्ता पक्ष के विधायकों के विरोध में उनका जोश ठंडा पड़ गया। नाराज विपक्षी विधायकों ने वाकआउट कर दिया। और सरकार को सहजता के साथ बिना चर्चा के बजट पास करने का अवसर मिल गया ।

चार दिनों में बजट सत्र की कार्यवाही 21 घंटे 36 मिनट तक चली। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने विपक्ष एवं पक्ष के सभी सदस्यों को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है। कहा कि प्रदेश व जनहित के अनेक विषयों पर सदन में दोनों दलों की ओर से शांति पूर्वक गंभीर चिंतन मनन किया गया। चार दिन के सत्र में विधान सभा को 603 प्रश्न प्राप्त हुए। जिसमें स्वीकार 8 अल्पसूचित प्रश्न में 1 उत्तरित हुआ है। जबकि 180 तारांकित प्रश्न में 46 उत्तरित, 380 आताराकिंत प्रश्न में 197 उत्तरित, कुल 29 प्रश्न निरस्त किए गए।

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