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श्रीनगर में मई के तीसरे सप्ताह में होगी जी- 20 की बैठक, 10 आमंत्रित तथा 19 अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के प्रतिनिधि होंगे शामिल

जम्मू। जी-20 की बैठक श्रीनगर में मई के तीसरे सप्ताह में होगी। इस बैठक में सदस्य देशों के अलावा 10 आमंत्रित तथा 19 अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। बैठक दो दिन की होगी, लेकिन प्रतिनिधियों के लिए चार दिन का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इसमें उन्हें अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के विकास की सच्चाई भी दिखाने की कोशिश होगी। विभिन्न पर्यटन स्थलों के दौरे का कार्यक्रम भी प्रस्तावित है। दौरे की तैयारियां जोरों पर हैं। कश्मीर में जी-20 की बैठक पर आपत्ति जता चुके पाकिस्तान की दौरे पर पैनी निगाह रहेगी क्योंकि उसे अपनी पोल खुलने का डर सताता रहेगा।

उच्च प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा कारणों से बैठक की तिथि को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है, लेकिन बैठक में लगभग डेढ़ महीने से भी कम का समय होने के मद्देनजर तैयारियां जोरों पर हैं। दो दिनों तक बैठक एक पंचसितारा होटल में होगी। इसके साथ ही डल किनारे स्थित शेर-ए-कश्मीर कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में भी इन प्रतिनिधियों के संवाद का कार्यक्रम प्रस्तावित है। एसकेआईसीसी को सजाया जा रहा है। इसके साथ ही डल किनारे के रोड को भी पूरी तरह चुस्त दुरुस्त किया जा रहा है। इस रोड पर स्थित सुरक्षा बंकरों का भी रंगरोगन किया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि इस पूरी कवायद में लगभग 100 प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है। कई देशों के प्रतिनिधियों के होने की वजह से इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि इसमें किसी प्रकार की कमी न आने पाए। सूत्रों का कहना है कि प्रतिनिधियों को यह बताने की कोशिश की जाएगी कि 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर देश की मुख्यधारा से न केवल जुड़ा है, बल्कि यहां प्रगति के द्वार भी खुले हैं। सड़क, रोड तथा पुलों के क्षेत्र में ही न केवल काम हो रहा है, बल्कि युवाओं को रोजगार के साधन भी मुहैया हो रहे हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

अब पत्थरबाजी बंद हो गई है। हड़ताल भी बीते जमाने की बात हो गई है। पाकिस्तानी झंडे लहराने की घटनाएं नहीं होती हैं। अलगाववाद के कहीं भी सुर नहीं हैं। अब युवाओं के हाथों में पत्थर के बजाय कलम व लैपटॉप है। देर रात तक घाटी में आम जनजीवन गुलजार रहता है। रात्रिकालीन बस सेवा तक शुरू हो गई है। आतंक व भय का माहौल नहीं है। उद्योग धंधे आ रहे हैं। विदेशी निवेश का रास्ता भी खुला है। सऊदी अरब का अम्मार ग्रुप श्रीनगर का पहला मॉल बनाने की शुरूआत कर चुका है। जल्द ही दोनों राजधानी शहरों में आईटी टावर भी इसी कंपनी की ओर से बनाया जा रहा है। उन्हें गांव तक लोकतंत्र की बहाली का सच भी बताने की कोशिश होगी।

केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन विभाग के डॉ. जे जगन्नाथन का कहना है कि यह जम्मू -कश्मीर ही नहीं बल्कि भारत के लिए बहुत बड़ा मौका है जब वैश्विक समुदाय को सच्चाई दिखाई जा सके। पाकिस्तान में निश्चित रूप से कश्मीर में बैठक को लेकर बौखलाहट होगी क्योंकि अब तक वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत व कश्मीर के खिलाफ दुष्प्रचार करता रहा है। अब उसे अपनी पोल खुलने का डर सता रहा है। इस वजह से वह पैंतरेबाजी कर सकता है। उसकी पूरी बैठक में पैनी निगाह रहेगी ताकि उसके खिलाफ माहौल न बनने पाए।

सम्मेलन की तैयारियां जोरों पर होने के साथ ही विभिन्न देशों के नुमाइंदों के आने से सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध रहेंगे। यह दिखाने की कोशिश होगी कि कश्मीर घाटी अब पूरी तरह बदल गया है। श्रीनगर के साथ ही कश्मीर के विभिन्न जिलों का चेहरा बदलने की कोशिश की जा रही है ताकि सब कुछ बदला बदला सा नजर आए। सड़कें गड्ढा मुक्त रहें। सभी जगह साफ सफाई रहे।

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