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आरक्षण के भीतर आरक्षण होगा क्या?

जस्टिस जी रोहिणी के अध्यक्षता में बने आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है। इस आयोग का गठन 2017 में हुआ था और तीन महीने में इसे अपनी रिपोर्ट देनी थी। लेकिन पिछले छह साल में आयोग को 14 विस्तार मिला और अब जाकर इसने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी है। इस आयोग को यह पता लगाना था कि आरक्षण का लाभ क्या समान रूप से सभी जातियों को मिल रहा है? जस्टिस रोहिणी आयोग ने अपनी शुरुआती फाइंडिंग में बता दिया था कि कुछ जातियां हैं, जो आरक्षण का ज्यादा लाभ ले रही हैं, जबकि ज्यादातर कमजोर जातियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

बताया जा रहा है कि आयोग का गठन करने के बाद सरकार इस मामले में सुस्त पड़ गई क्योंकि उसको लगने लगा कि इसकी फाइंडिंग के आधार पर आरक्षण में कोई भी बदलाव किया गया तो उसका राजनीतिक नुकसान हो सकता है। असल में पिछड़ी जातियों में भी जो आर्थिक व शैक्षणिक रूप से मजबूत जातियां हैं उनको आरक्षण का ज्यादा लाभ मिला है। बहुत सी अति पिछड़ी जातियां ऐसी हैं, जिनको आज तक आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिल पाया है। सो, कायदे से सभी पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ पहुंचाने के लिए आरक्षण के भीतर आरक्षण का प्रावधान करना होगा। जिन जातियों को ज्यादा लाभ मिला है उनकी बजाय अब कम लाभ हासिल करने वाली जातियों को महत्व देना होगा। लेकिन क्या सरकार ऐसा कर पाएगी? इसकी संभावना कम है क्योंकि कोई भी पार्टी नहीं चाहेगी कि मजबूत पिछड़ी जातियां नाराज हों। सो, आने वाले दिनों में बीच का कोई रास्ता निकालने का प्रयास होगा।

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