सरकार पस्त, माफिया मस्त
मथुरा। जिस तरह से आज आम जनता को जीवन यापन करना मुश्किल पड़ रहा है और दिल्ली के आस पास जमीनों की कीमत आसमान छू रही है उससे हर जन मानस परेशान है।सरकार की पंचायतों और निगमों में बेशकीमती जमीन पड़ी हुई है। जिस पर भू-माफिया की पैनी नजर लगी हुई है. इसी का एक ताजा उदाहरण आज सुबह मथुरा स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19, नजदीक बजाना पुल ,कुसुम वाटिका के सामने, वार्ड क्रमांक 24 सराय आजमाबाद, मौजा गोविंदपुर स्थित सरकारी जमीन पर भूमिया की नजर पड़ गई।
जिस पर ग्राम सराय आज़माबाद के रह वासियों ने समय रहते मथुरा- वृंदावन नगर निगम और वहां के स्थानीय पार्षद अंकुर गुर्जर को सूचना दी ।जिस पर निगम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सहायक नगर उपायुक्त राकेश कुमार त्यागी के नेतृत्व में अमला मौजूदा घटनास्थल पर पहुंचा ।वहां पर भू-माफिया के कुछ गुर्गे और ठेकेदार के मजदूर काम करते हुए पाए गए। जिसमें सहायक नगर उपायुक्त राकेश कुमार त्यागी ने वहां पर मौजूद लोगों से बात की व उनसे जमीन संबंधी कागजात मांगे जिस पर वह कोई दस्तावेज नहीं दिखा सके।
उन्होंने उनसे कहा कि आप अपने भूमि संबंधी प्रमाणों को लेकर नगर निगम के दफ्तर में आकर मिले ,उनके साथ हल्का पटवारी व अतिक्रमण हटाने के लिए जो कार्यबल उन्हें मिला हुआ है वह वहां पर मौजूद था। यह जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग: 19 पर स्थित है जिसकी आज की वर्तमान कीमत करोड़ों रुपए में है और इसके सामने पाश कोलोनिया बसी हुई है। उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार माफिया के प्रति लगातार कार्रवाई कर रही है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार भूमिया को चेतावनी दे रहे हैं कि आप गलत काम छोड़ दें और सही रास्ते पर आ जाएं नहीं तो आपको उसकी गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा लेकिन भूमिया को कौन संजीवनी दे रहा है।
यह समझ से परे है जहां एक तरफ आम जनता पर प्रशासनिक विभाग द्वारा कार्रवाई कर दी जाती है और फुटपाथ पर अतिक्रमण करने पर भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर लीजाती है वहीं दूसरी तरफ सरकार की कीमती जमीन पर भूमाफिया द्वारा प्रत्यक्ष रूप से कब्जा करने की कोशिश हुई उसको सिर्फ कार्यवाही की बात कह कर छोड़ दिया जाता है। आज यह प्रश्न उठता है क्या यही दिन देखने के लिए हमारे पूर्वजों ने आजादी दिलाई थी और संविधान रचियता डॉक्टर भीम राव अंबेडकर ने संविधान की रचना की थी कि आम जनता के लिए अलग कानून और पूंजीपतियों के लिए अलग ,शायद इसी को कहते है सबका साथ, सबका विकास।
इस जमीन के सामने डूडा विभाग का ऑफिस है जिसमे अंबेडकर की मूर्ति लगी हुई है और वह आज मूर्ति रूप में खड़े होकर अपने सामने हो रहे भूमि पर कब्जे को चुपचाप देख रहे है शायद यही समय की परा काष्ठ है कि हर चीज बिकाऊ है खरीदार चाहिए , आम जनता का शोषण होना चाहिए , वह किसी भी रूप में हो। भारत की केंद्र सरकार और उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम व्यक्ति के विकास को प्रयास रत है लेकिन कुछ असामाजिक तत्व उनके इस अभियान को पलीता लगाने को आतुर है।