हेल्थ

प्रेग्नेंसी का पता चलते ही इन बातों पर दें ध्यान

प्रेग्नेंसी के मामले में अक्सर देखा गया है कि महिलाओं को करीब एक-डेढ़ माह तक तो इसका पता ही नहीं चल पाता। इसके बाद जब वे अस्पताल पहुँचती हैं और डॉक्टर उन्हें सोनोग्राफी करवाने के लिए कहते हैं तो कई बार वे इससे कतराती हैं। ज्यादातर महिलाएँ सोनोग्राफी करवाने से बिलकुल मना कर देती हैं। जबकि भ्रूण के विकास के अध्ययन के लिए पहली सोनोग्राफी जाँच होना बेहद जरूरी होती है। इसे डेटिंग स्कैन भी कहा जाता है।

पहली सोनोग्राफी जाँच से प्रसव की तारीख का सही अनुमान लगाया जा सकता है। यह विश्वसनीय भी होती है। इसलिए महिलाओं को पहली सोनोग्राफी जाँच डॉक्टरी सलाह से जरूर करवानी चाहिए।गर्भावस्था में खास देखभाल की जरूर होती है। इसलिए महिला को गर्भ का पता चलते ही कुछ विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए। शुरूआती तीन माह जोखिम भरे कहे जा सकते हैं। इस समय आपके लिए बदलाव बिलकुल नए होते हैं। खाने के टेस्ट से लेकर कई तरह के शारीरिक बदलावों से गुजरना होता है।

भावनात्मक व मानसिक रूप से मजबूत होना भी इस समय बेहद जरूरी है। अक्सर महिलाओं में इस समय चिड़चिड़ापन ज्यादा देखने को मिलता है। मूड स्विंग्स अधिक होते हैं। इस समय परिवारजनों के सहयोग की उन्हें बेहद आवश्यकता होती है। गर्भावस्था का पता चलते ही डॉक्टर की ओर से बताई गई जाँचें अवश्य करवानी चाहिए। इससे आपकी प्रेग्नेंसी में आने वाली मुश्किलों को दूर किया जा सकता है। जैसे हीमोग्लोबिन, ब्लड शुगर, थाइरॉइड की जाँच अवश्य करवानी चाहिए।

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