“बस्ता पैक स्ट्रीट लाइब्रेरी” के Give a Book- Take a Book फॉर्मूला को किताब प्रेमियों ने किया पसंद
ऋषिकेश। बस्ता पैक एडवेंचर की पहल उत्तराखंड की पहली स्ट्रीट लाइब्रेरी को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। ऋषिकेश में लक्ष्मण चौक के करीब साई घाट पर स्थित बस्ता पैक स्ट्रीट लाइब्रेरी के पास शहर के स्थानीय लोगों समेत बाहरी पर्यटक भी आकर किताबें पढ़ना और डोनेट करना पंसद कर रहे हैं। गौरतलब है कि बसंत पंचमी के दिन बस्ता पैक एडवेंचर ने शिक्षा की दिशा में एक नई पहल शुरू की थी। जिसके तहत बस्ता पैक की टीम ने उत्तराखंड की पहली स्ट्रीट लाइब्रेरी शुरू की थी। जिसका उद्घाटन पद्मश्री डॉक्टर योगी एरन ने किया था। मीडिया टीम से बातचीत के दौरान के एक स्थानीय व्यक्ति राजू रस्तोगी ने बताया कि हमारे शहर ऋषिकेश में उत्तराखंड की पहली स्ट्रीट लाइब्रेरी खुली है, जिसे शहर के आम नागरिकों समेत पर्यटक खूब पंसद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि स्ट्रीट लाइब्रेरी के give a book और take a book नियम के जरिए लोग पढ़ने के लिए किताबों की अदला-बदली भी कर सकते हैं। जिससे उन्हें फ्री में अपनी पसंद की किताबें पढ़ने को मिलेगा। वहीं नीदरलैंड से आई एक महिला पर्यटक ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्हें बस्ता पैक स्ट्रीट लाइब्रेरी की ये पहल बहुत अच्छी लगी है। उन्होंने बताया कि अमेरिका यात्रा के दौरान उन्होंने कुछ शहरों में ये कॉन्सेप्ट देखा था। लेकिन भारत के ऋषिकेश शहर में ये कॉन्सेप्ट देखकर उनको अच्छा लगा है। उन्होंने आगे कहा कि खाली समय में वह किताब लेकर गंगा किनारे पढ़ती भी हैं। दिल्ली से आई एक बुजुर्ग महिला पर्यटक ने कहा कि इस पहल के जरिए बच्चों का ध्यान मोबाइल से निकलकर किताबों की तरफ बढेगा।
बस्ता पैक एडवेंटर के फाउंडर गिरिजांश गोपालन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके टीम की योजना है कि वह उत्तराखंड के दूर-दराज इलाकों में स्ट्रीट लाइब्रेरी शुरू करे, जिससे छात्र-छात्राओं तक आसानी से किताबें पहुंच सके। उन्होंने आगे कहा कि पहाड़ों में घूमने सभी लोग आते हैं, लेकिन पहाड़ पर जीवन यापन करने वालों परिवारों और छात्रों की दिक्कत कोई नहीं समझता है। किताबों के डोनेशन को लेकर गिरिजांश ने कहा कि देश-विदेश से लोग उन्हें किताब डोनेट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही पौढ़ी जिले में दूसरी स्ट्रीट लाइब्रेरी छात्रों के लिए खुलेगी।
वहीं बस्ता पैक एडवेंचर के फाउंडर प्रदीप भट्ट ने बताया कि उनकी टीम पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए टूरिज्म के क्षेत्र में कार्य कर रही है। उन्होंने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए बताया कि वह उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के रहने वाले हैं। उन्होंन कहा कि छात्र जीवन के दौरान गरीबी और दूरी के कारण उन तक बहुत सारी किताबें नहीं पहुंच पाती थी। इसलिए उनकी कोशिश है कि बस्ता पैक टीम उत्तराखंड के दूर-दराज इलाकों तक किताबों की पहुंच बनाए। जिसके लिए टीम लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि अगर घर में पूरानी किताबें हैं, तो उसे कबाड़ी को ना बेचकर हमें भेजे। जिससे जरूरतमंद बच्चों तक किताबें पहुंच सके।