वकालत की आड में ठेकेदारी व प्रापर्टी डीलींग करने वाले अधिवक्ताओं का निरस्त होगा पंजीकरण
नैनीताल। काला कोट पहन कर या बिना यूनिफार्म के वकालत से इतर काम करने वालों पर उत्तराखंड बार काउंसिल सख्ती करने जा रही है। ठेकेदारी प्लाटिंग करने, अराजकता फैलाने आपराधिक कार्य में लिप्त अधिवक्ताओं का अधिवक्ता के रूप में कांउसिल में हुए पंजीकरण को रद्द किया जाएगा।
राज्य के तमाम जिलों से बार काउंसिल के चेयरमैन मनमोहन लाम्बा को अनेको वकीलों के गैर कानूनी कार्य करने की शिकायतें मिली हैं। कांउसिल का मानना है कि चंद अधिवक्ताओं के अनैतिक कार्यों के करने से पूरे अधिवक्ता समाज की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, साथ ही न्यायिक कार्य भी प्रभावित होता है व नये अधिवक्ताओं के जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस कारण सम्पूर्ण समाज अधिवक्ताओं को गलत नजर से देखने लगता है, इसलिए कांउसिल इस विषय को गम्भीरता से लेकर सख्त कदम उठाने जा रही है , जिसके लिए बार कांउसिल की पांच सदस्यीय कमेटी की गई है। कमेटी में बार काउंसिल के वाईस चौयरमेन राव मुनफेत अली, वरिष्ठ सदस्य चन्द्रशेखर तिवारी, वरिष्ठ सदस्य योगेन्द्र सिंह तोमर, सदस्य राजकुमार चौहान, सदस्य राजवीर सिंह बिष्ट शामिल हैं।
चेयरमैन ने बताया कि प्रदेश के समस्त अधिवक्ताओं को सीओपी (सर्टिफिकेट ऑफ प्रेक्टिस) कांउसिल से प्राप्त करने का अनुरोध किया गया है। बार काउंसिल के चौयरमेन लाम्बा ने बातचीत में कहा कि आमतौर पर अधिवक्ता अपने पेशे के प्रति इमानदार व अनुशासित होते हैं, उनके पास केस से इतर करने एवं सोचने का समय नहीं होता। अधिवक्ता बन्धु दूसरों को गैर कानूनी कार्य करने से रोकते हैं इसलिए गलत लोगों के खिलाफ कार्य करने का निर्णय लिया है। प्रदेश की प्रत्येक बार एसोसिएशन के अध्यक्ष से रिपोर्ट मांगी जा रही है। ऐसे अवांच्छित तत्वों के विरुद्ध बार कांउसिल अपने स्तर पर उनका पंजीकरण व सीओपी निरस्तीकरण करने का निर्णय लेगी।