उत्तराखंड

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में हुए भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों की जांच, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत सहित पूर्व कुलपति, कुलसचिव पर कस सकता है शिकंजा

देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में पांच साल में हुए भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की शासन ने जांच बैठा दी है। इसके लिए अपर सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है, जो 15 दिन में अपनी रिपोर्ट शासन को देगी। आयुर्वेद विवि पिछले कई सालों से वित्तीय अनियमितताओं, भ्रष्टाचार, नियुक्तियों में गड़बड़ियों के लिए चर्चाओं में है। पिछले साल अगस्त में अपर सचिव राजेंद्र सिंह ने विवि के कुलसचिव से बिंदुवार सभी आरोपों की जांच रिपोर्ट मांगी थी। अब मामले में अपर सचिव राजेंद्र सिंह ने अपर सचिव कार्मिक एसएस वल्दिया की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है। इस जांच समिति में अपर सचिव वित्त अमिता जोशी, संयुक्त निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी कृष्ण सिंह नपलच्याल और ऑडिट अधिकारी रजत मेहरा भी सदस्य होंगे। उन्होंने समिति को निर्देश दिए हैं कि वह 15 दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराएं।

इस तरह की गड़बड़ियों के आरोप
योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने, माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन न करने, बायोमेडिकल संकाय व संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने, विवि में पद न होते हुए भी संस्कृत शिक्षकों को प्रमोशन एवं एसीपी का भुगतान करने, बिना शासन की अनुमति बार-बार विवि की ओर से विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने और रोक लगाने, विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विवि की ओर से गठित समितियों के गठन की विस्तृत सूचना शासन को न देने के साथ ही पीआरडी के माध्यम से 60 से अधिक युवाओं को भर्ती करने का आरोप है।

पूर्व कुलपति, कुलसचिव भी आ सकते हैं शिकंजे में
आयुर्वेद विवि में वर्ष 2017 से 2022 के बीच विवि में पूर्व कुलपति और कुलसचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं देने वाले अधिकारी भी इस जांच की जद में आ सकते हैं।

हरक तक पहुंच सकती है जांच की आंच
आयुर्वेद विश्वविद्यालय में शुरू हुई जांच की आंच पांच साल तक विभाग के मंत्री रहे डॉ.हरक सिंह रावत तक भी पहुंच सकती है। सूत्रों के मुताबिक, उनके कार्यकाल में विभाग में तमाम नियुक्तियां हुईं। आयुर्वेद विवि में भी उनके कार्यकाल में नियुक्तियां हुई हैं। अब यह जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि कब कौन सी भर्ती सही हुई कौन सी नियमों के विपरीत।

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