उत्तराखंड

उत्तराखंड में 20 साल में 13वां उपचुनाव, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सीट के लिए चंपावत में सजा मैदान

देहरादून। उत्तराखंड में निर्वाचित विधानसभा के बीस साल के सफर में 13वें उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है। एक बार फिर मुख्यमंत्री की सीट सुरक्षित करने के लिए जरूरी संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए उपचुनाव हो रहा है। राज्य में इससे पूर्व भी इसी कारण चार बार उपचुनाव की नौबत आ चुकी है। विधायक कैलाश गहतोड़ी के इस्तीफे के बाद सीएम धामी चंपावत से उपचुनाव लड़ेंगे।

छोटे राज्य उत्तराखंड में रह-रहकर उपचुनाव की नौबत आती रहती है। सबसे पहले वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के लिए विधानसभा का रास्ता साफ करने के लिए रामनगर में उपचुनाव हुआ। इसके बाद बीसी खंडूड़ी के लिए धुमाकोट, विजय बहुगुणा के लिए सितारगंज और हरीश रावत के लिए धारचूला में इसी कारण उपचुनाव कराना पड़ा। चंपावत का उपचुनाव इसी कड़ी में अगला पड़ाव होगा। इसके अलावा निर्वाचित विधायकों के निधन या संसद के लिए निर्वाचन या नाराजगी के कारण इस्तीफा दिए जाने से भी कुल आठ बार उपचुनाव की नौबत आ चुकी है।

उत्तराखंड में उपचुनाव
-उत्तराखंड की चौथी विधानसभा में सल्ट, पिथौरागढ़ और थराली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव
-तीसरी विधानसभा में भगवानपुर, डोईवाला, धारचूला, सोमेश्वर और सितारगंज में उपचुनाव कराना पड़ा
-दूसरी विधानसभा में विकासनगर, कपकोट व धुमाकोट में उपचुनाव
-प्रथम विधानसभा में रामनगर विधानसभा सीट पर कराया गया था उपचुनाव

सीट खाली होने की अधिसूचना जारी उपचुनाव जून के अंत तक संभव
विधायक कैलाश गहतोड़ी के गुरुवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद चंपावत सीट खाली हो गई है। विधानसभा सचिवालय की ओर से इस संदर्भ में अधिसूचना जारी कर दी गई है। गुरुवार सुबह विधायक गहतोड़ी ने विधानसभा की अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा अध्यक्ष ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया था। इसके बाद अब विधानसभा सचिवालय की ओर से इस संदर्भ में आधिकारिक रूप से अधिसूचना जारी कर दी गई है।

इसके बाद अब इस सीट पर चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग आगे की कार्रवाई करेगा। हालांकि चंपावत विधानसभा का उपचुनाव जून अंत तक हो सकता है। तय प्रक्रिया के अनुसार, विधानसभा सीट रिक्त होने की सूचना मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तराखंड के जरिए भारत निर्वाचन आयोग को दी जाएगी। सामान्य तौर पर सीट रिक्त घोषित होने के छह माह के अंदर आयोग उपचुनाव सम्पन्न कराता है। इसके लिए आयोग देशभर में अन्य राज्यों में उपलब्ध रिक्त सीटों का भी विवरण लेकर सभी जगह एक साथ उपचुनाव कराता है। अधिसूचना जारी होने के बाद आयोग को चुनाव सम्पन्न कराने में करीब एक माह का समय लगता है। इस तरह माना जा रहा है कि चंपावत का उपचुनाव जून अंतिम सप्ताह तक हो सकता है। उत्तराखंड में वैसे भी जून अंत में मानसून सक्रिय हो जाता है, इस कारण मानसून अवधि में चुनाव प्रक्रिया मुश्किल हो जाती है। उपचुनाव की घोषणा के साथ ही जिले में आदर्श आचार संहिता भी प्रभावी हो जाएगी।

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