खेल

चौंदकोट के लाल का फुटबाल में धमाल, इंडियन ब्लाइंड फुटबाल टीम का स्ट्राइकर है शिवम नेगी

– आईटीएम ने किया शिवम और कोच नरेश नयाल का सम्मान

देहरादून। यदि लक्ष्य को हासिल करने की जिद हो और मेहनत की जाए तो मंजिल तक पहुंचना आसान हो जाता है। शारीरिक अपंगता लक्ष्य हासिल करने में कहीं अड़चन नहीं आती। यही साबित किया है एनआईवीएच के छात्र शिवम नेगी ने। शिवम भारतीय नेत्रहीन फुटबाल टीम का स्ट्राइकर है और देश विदेश में कई मैचों में भारत के लिए गोल कर चुका है। उसका सपना है कि देश के लिए पैरा ओलंपिक में पदक लाना। फिलहाल वह नेशनल गेम्स के लिए तैयारी कर रहा है।

फुटबालर शिवम नेगी को आईटीएम ने सम्मानित किया। उसने आईटीएम के मॉस कॉम के छात्रों के विभिन्न सवालों के भी जवाब दिये। शिवम हाल में इंग्लैंड में आयोजित तीन मैत्री मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व कर स्वदेश लौटा है। भारतीय टीम में उसके साथ उत्तरकाशी का एक अन्य खिलाड़ी सोवेंद्र भंडारी भी है। मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के चौंदकोट इलाके रणसू गांव के शिवम नेगी की कहानी किसी को भी प्रेरणा दे सकती है। शिवम ने अपनी विकलांगता को वरदान बनाया। वह जन्मांध नहीं था। उसकी आंखों की रोशनी दिनों-दिन कम होती रही। 15 साल की उम्र में वह पूरी तरह से नेत्रहीन हो गया। कुछ समय गांव के स्कूल में पढा, लेकिन जब ठीक से नहीं दिखाई दिया तो उसके परिजनों ने देहरादून के एनआईवीएच में उसका दाखिला करा दिया। यहां उसके सपनों को मंजिल मिली।

गोल गाइड नरेश नयाल ने उसके जीवन को नई दिशा दी। अहम बात यह है कि शिवम की एक ही किडनी है। इसके बावजूद उसने फुटबाल को चुना। उसके अनुसार रोनाल्डो उसका फेवरेट है। उसने खूब मेहनत की। रोजाना चार से छह घंटे प्रैक्टिस की। इसके बाद कई प्रतियोगिताओं में उसने बेहतरीन प्रदर्शन किया। इस कारण उसे भारतीय टीम में जगह मिली और वह एशियन फुटबाल प्रतियोगिता समेत कई प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुका है। उसने भारत के लिए कई बार जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा की है।

शिवम खेल के साथ पढ़ाई में भी कुशाग्र है। उसने गूगल से मार्केंिटग का कोर्स भी किया है। वह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय है। इंस्ट्रा पर उसके सैकड़ों फालोअर हैं। वह मोबाइल से एप की सहायता से पढ़ लेता है। किसी के भी फेसबुक एकाउंट और वाट्सएप् से जुड़ जाता है। इस प्रतिभावान खिलाड़ी का मानना है कि जीवन में अनेक चुनौतियां हैं। चुनौतियों से लड़कर ही जीत हासिल हो सकती है। मंजिल मिल जाती है। इस जुझारू और प्रेरणास्रोत खिलाड़ी शिवम नेगी को सलाम।

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