राष्ट्रीय

ज्ञानवापी विवाद:- सुप्रीम कोर्ट ने Places of Worship Act पर कही बड़ी बात, कैसे हिंदू पक्ष के लिए राहत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामले को वाराणसी जिला अदालत को ट्रांसफर कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी के मेंटेनेबिलिटी के मामले को प्राथमिकता से सुना जाना चाहिए और इसमें जिला जज सक्षम हैं, जो काफी अनुभवी हैं। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इस मामले में फैसला जिला अदालत ही करेगी। मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने 1991 के Places of Worship Act ऐक्ट का भी जिक्र किया और कहा कि इसके तहत ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश देना गलत था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसी कानून के सेक्शन 3 का जिक्र किया और कहा कि सर्वे के आदेश में खामी नहीं थी।

जस्टिस चंद्रचूड़ बोले- धार्मिक स्थल का चरित्र तय करना भी हमारा काम
बेंच के सीनियर सदस्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि धार्मिक स्थल का चरित्र तय करना भी हमारा कम है। 1991 के कानून का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, भूल जाइए कि वाराणसी में एक तरफ मस्जिद है और दूसरी तरफ मंदिर है। मान लीजिए कि पारसी मंदिर है और उसके एक कोने पर क्रॉस पाया जाता है। फिर क्या इसे क्रॉस अग्यारी कहा जाएगा या फिर अग्यारी क्रिश्चियन कहा जाएगा? हम इस हाइब्रिड कैरेक्ट से अनजान नहीं हैं।श् इस तरह ऐसी मिली-जुली चीजें पाए जाने पर एक पारसी पूजा स्थल क्रिश्चियन स्थान नहीं हो सकता और न ही ईसाई स्थान को पारसी मंदिर नहीं माना जा सकता। किसी भी स्थान का ऐसा हाइब्रिड कैरेक्टर हो तो फिर उसके निर्धारण के लिए जांच हो सकती है।

क्या अब 1991 का प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट नहीं होगा लागू?
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से साफ है कि 1991 का प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट इस मामले में रोड़ा नहीं अटकाता है। जानकारों का मानना है कि अदालत की टिप्पणी ने साफ कर दिया है कि ज्ञानवापी के मामले पर अब सुनवाई जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस पूरे मामले में फैसला निचली अदालत ही करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति को भी गलत नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि कमिशन का गठन किया जा सकता है और वह अपनी रिपोर्ट दे सकती है। इसके साथ ही अदालत ने मुस्लिमों के लिए वजू की वैकल्पिक व्यवस्था करने, शिवलिंग मिलने वाले स्थान की सील जारी रखने का भी आदेश बरकरार रखा। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह आदेश अगले 8 सप्ताह यानी 17 जुलाई तक जारी रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने भी माना जटिल है समस्या, हमारा काम शांति बनाए रखना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये जटिल सामाजिक समस्याएं हैं। इसमें मनुष्य द्वारा किया गया कोई भी समाधान सटीक नहीं हो सकता। हमारा आदेश इस बात पर था कि शांति व्यवस्था बनी रहे। यह काम अंतरिम आदेश से हो सकता है। हम देश की एकता के लिए एक संयुक्त मिशन पर हैं। इसके अलावा रिपोर्ट लीक होने के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार यहां रिपोर्ट आ जाए तो फिर वह सेलेक्टिव तौर पर लीक नहीं हो सकती। इसके साथ ही बेंच ने हिदायत दी कि रिपोर्ट लीक नहीं होनी चाहिए। इसे सिर्फ जज ही खोल सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *