अंतर्राष्ट्रीय

आखिर क्यों ऑस्ट्रेलिया में मारी गई 60 लाख मधुमक्खियां, जानिए कारण

ऑस्ट्रेलिया । शहद बनाने का एक मात्र साधन मधुमक्खियां ही होती हैं लेकिन सोचिए अगर किसी देश ने यह ठान लिया कि मधुमक्खियों को ही मारा जाएगा तो शायद इसके पीछे कोई बड़ा कारण होगा। ऑस्ट्रेलिया में इन दिनों यही हो रहा है और वहां 60 लाख से अधिक मधुमक्खियों को मारा जा चुका है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में इस समय शहद से बनने वाला एक परजीवी वायरस फैला हुआ है।

दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में शहद इंडस्ट्री को बचाने के लिए लाखों मधुमक्खियों को मारा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वेरोआ माइट नाम का परजीवी वायरल वहां शहद से फैल रहा है। मधुमक्खियों के लिए सबसे बड़ा खतरा माने जाने वाला यह पैरासाइट उनका खून चूसता है, उन्हें अपंग बनाता है तथा वे उड़ नहीं पातीं। वेरोआ माइट नाम का यह परजीवी देश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में फैल गया है। वेरोआ माइट तिल के आकार का पैरासिटिक कीट है जो मधुमक्खियों के छत्तों पर हमला करता है और मधुमक्खियों को नुकसान पहुंचाता है। यह लाल भूरे रंग का होता है। यह छोटा सा कीट मधुमक्खी पालन को तबाह करने के लिए काफी होता है। यह मधुमक्खियों से ही दूसरी मधुमक्खियों तक पहुंचता है, या मधुमक्खियों के पालन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में हजारों मधुमक्खियों को नष्ट किया जा चुका है और मधुमक्खीपालकों से सावधान रहने को कहा गया है। पालकों का अनुमान है कि अगर वारोआ फैलता है तो सिर्फ शहद उद्योग को 7 करोड़ डॉलर यानी करीब चार अरब रुपये का नुकसान होगा। इसके अलावा फूलों और फलों की खेती को भी भारी नुकसान होने की आशंका है क्योंकि देश का कम से कम एक तिहाई खाद्य उत्पादन मधुमक्खियों द्वारा किए जाने वाले वाले परागन पर निर्भर करता है।इतना ही नहीं यह परजीवी वायरस दुनिया के तमाम देशों में मधुमक्खियों को नुकसान पहुंचा चुका है।

वरोआ माइट अब तक एशिया, यूरोप, अमेरिका और न्यूजीलैंड में मिल चुका था। यूरोप में इस पैरासाइट ने भारी नुकसान पहुंचाया है। जहां भी यह पाया गया, वहीं पूरी की पूरी कॉलोनी नष्ट हो गईं। इसका असर इतना खतरनाक होता है कि यह जिस मधुमक्खी से चिपट जाता है उसे तो कमजोर करता ही है उस कॉलोनी में नई मधुमक्खियां भी अपंग पैदा होती हैं। बताया जा रहा है कि यह वायरस तभी खत्म होगा जब मधुमक्खियां नहीं रहेंगी।

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