धामी राज में ब्यूरोक्रेसी पर कसी नकेल, ईमानदार अधिकारियों का बढ़ा मान
आमजन की समस्याओं को तुरंत हल करने और भ्रष्टाचार पर नकेल के लिए सरलीकरण, समाधान और निस्तारण के मंत्र पर काम
उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास देखें तो यहां हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड रहा है। राजनीतिक पंडितों की माने तो सत्ता परिवर्तन के इस लगभग तय हो चुके ट्रेंड ने ही भ्रष्ट तत्वों को हावी होने के अवसर दिया। एक ऐसा नेक्सस बना लिया था जिस पर वार करना आसान नहीं था।
लेकिन धामी तो आखिर धामी हैं। उनको हल्के में लेने वाले ये तत्व धामी की राजनीतिक परिपक्वता को भांप ही नहीं पाए। साल 2021 में, एकदम अप्रत्याशित तरीके से पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की सत्ता सौंपी गई , उनके सामने तमाम बड़ी चुनौतियां थीं। अपने छोटे से कार्यकाल में धामी ने ना केवल हताश हो चुके भाजपा कैडर में नई जान फूंकी बल्कि पार्टी को दोबारा सत्ता में लाकर इतिहास रच दिया। धामी की इस धमाकेदार जीत को देख भ्रष्ट तत्वों की तो मानो काटो तो खून नहीं वाली बात हो गई। उनकी तमाम रणनीतियां धरी की धरी रह गई और पुष्कर धामी अजेय योद्धा बन कर सामने आए।
और यहां से शुरू हुआ कुचक्रों का एक नया अध्याय… हर स्तर से मुंह की खा चुके इन भ्रष्ट अधिकारियों ने सीएम पुष्कर धामी की छवि को धूमिल करने और उनके खिलाफ दुष्प्रचार करने के नए-नए पैंतरे आजमाने शुरू कर दिए। अपने रसूख के दम पर आए दिन उल्टी-सीधी जानकारियों से जनता को भ्रमित किया ताकि जनता के बीच धामी सरकार के खिलाफ असंतोष पनपे। लेकिन पुष्कर सिंह धामी अटल इरादों वाले नेता हैं। उन्होंने अपने खिलाफ रचे जा रहे इन षड्यंत्रों से लड़ने के लिए सच्चाई और ईमानदारी के मंत्रों को अपनाया।
भ्रष्टाचार में संलिप्त रहा प्रत्येक व्यक्ति अब सीएम धामी की रडार पर हैं और उत्तराखंड में वो दिन अब लद चुके हैं जब भ्रष्टाचारी सत्ता के साथ अनैतिक गठजोड़ कर खुद को बचा ले जाते थे। ये जगजाहिर है कि सीएम धामी स्वयं भी उत्तराखंड के सर्वांगीण विकास हेतु दृढ़ संकल्पित हैं और प्रदेश को उत्कृष्ट बनाने में योगदान देने के लिए तैयार हर अधिकारी का वो सम्मान करते हैं। स्वयं अधिकारी ये मानते हैं कि राज्य के प्रति सत्यनिष्ठा के साथ काम करने वालों को जितना प्रोत्साहन पुष्कर सिंह धामी दे रहे हैं उतना पहले कभी नहीं मिला। अनेकों ऐसे अधिकारी हैं जिन्होंने पूर्ण ईमानदारी से प्रदेश को आगे बढ़ाने के प्रयास किये लेकिन उनको हमेशा हाशिये पर रखा गया। लेकिन अब प्रदेश की परिपाटी बदल चुकी है और कर्मठता सम्मान पा रही है। वहीं दूसरी तरफ जिन्होंने देवभूमि को सेवा भूमि मानने की बजाए अपनी ऐशगाह बना लिया था ऐसे सभी लोगों के उलटे दिन शुरू हो चुके हैं और सूत्रों की मानें तो इन पर कार्रवाई की तलवार लटक चुकी है। प्रदेश की जनता, भी पूरी तरह से अपने नेता धामी के साथ है।
देखना है अब आगे क्या होता है।
वैसे आगे जो भी हो पर आम उत्तराखंडी भ्रष्ट तत्वों की पेशानी में आए बल को देखकर बहुत प्रसन्न है क्योंकि इन लोगों ने जो अत्याचार जनता पर किए हैं उनका पहली बार कोई हिसाब मांग रहा है।