हर लिहाज से यादगार
जिस टूर्नामेंट की शुरुआत बेहद निम्न आशाओं के साथ हुई, उसका दोषमुक्त ढंग से आगे बढऩा, अनेक रोमांचक मुकाबलों का गवाह बनना और अभूतपूर्व परिणति के साथ इतिहास का हिस्सा बनना आसान नहीं था।
फीफा वर्ल्ड कप के रविवार को हुए फाइनल मैच को उचित ही आज मौजूद पीढिय़ों की याददाश्त का सबसे बेहतरीन फाइनल मुकाबला बताया गया है। बेशक ये मैच फुटबॉल प्रेमियों को ताउम्र याद रहेगा। दुनिया में बहुत से लोगों को इस बात का संतोष हुआ है कि फुटबॉल इतिहास के बसे महान खिलाडिय़ों से एक लियोनेल मेसी के गौरवशाली करियर में अब यह कमी मौजूद नहीं है कि वे कभी वर्ल्ड चैंपियन नहीं बने। इस मैच अर्जेंटीना को विजयी बनाने में उनके योगदान को पीढिय़ां याद रखेंगी।
उसी तरह पीढिय़ां यह भी याद रखेंगी कि इस मंजिल तक पहुंचना उनके लिए आखिरी क्षण तो आसान नहीं रहा। बल्कि अंतिम पल तक लोग दिल की बढ़ी धडक़नों के साथ मैच के नतीजे पर नजर टिकाए रहे। बेशक मैच के पहले तकरीबन 70-75 मिनट तक अर्जेंटीना का पलड़ा ए भारी रहा, लेकिन खिताब बचाने के लिए मैदान में उतरी फ्रांस की टीम उसके बाद कहानी पलट दी। फिर जिस तरह उतार-चढ़ाव होता रहा, उसने रोमांच और उत्तेजना का ऐसा अहसास दिया, जो अब लोगों की स्मृति का हिस्सा बन गया है। वैसे यह ही अब ऐसी ही स्मृति का हिस्सा बन चुका है। जिस आयोजन की शुरुआत बेहद निम्न आशाओं के साथ हुई, उसका दोषमुक्त ढंग से आगे बढऩा, अनेक रोमांचक मुकाबलों का गवाह बनना और अभूतपूर्व परिणति के साथ इतिहास का हिस्सा बनना आसान नहीं था।
कतर में मानव अधिकारों की कथित खराब स्थिति और यूक्रेन युद्ध से दुनिया में जारी तनाव के माहौल में यह अपेक्षा नहीं था कि यह विश्व कप इस हद तक लोगों का ध्यान खुद पर टिका लेगा। लेकिन ऐसा ही हुआ है। टूर्नामेंट को दौरान कई हैरतअंगेज बातें देखने को मिलीं। क्या करिश्माई बात नहीं है कि जो टीम आखिरकार चैंपियन बनी, उसने शुरुआत कमजोर समझी जाने वाली सऊदी अरब टीम से हारते हुए की थी! और मोरक्को का स्वप्निल प्रदर्शन एक ऐसी गाथा बना, जिसने सारे अफ्रीका को कल्पनाओं को एक अकल्पनीय ऊंचाई तक पहुंचा दिया। आखिरकार विश्व कप यह संदेश दे गया कि फुटबॉल की दुनिया में स्थायी वर्चस्व का खात्मा हो गया है। अब हर विश्व कप टूर्नामेंट में नई कहानियां लिखी जाएंगी।