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उत्तर कोरिया कर रहा युद्ध की तैयारी

श्रुति व्यास

क्या युद्ध ही हर समस्या का हल है? क्या हम मनुष्य युद्ध के बिना रह ही नहीं सकते? ऐसा ही लगता है।अब दुनिया को एक नए इलाके से युद्ध के नगाड़ों की आवाज़ सुनायी दे रही है। ये नगाड़े बज रहे हैं उत्तर कोरिया में जहाँ के सुप्रीमो किम जोंग उन ने सेना के सबसे बड़े जनरल को चलता कर दिया है और हथियारों का उत्पादन और सैनिक अभ्यास बढ़ाने का हुक्म दिया है। जाहिर है यह जंग की तैयारी है। कोरियन सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी (केसीएनए) के मुताबिक किम जोंग ने बुधवार को जो बैठक बुलाई थी उसका एजेंडा था युद्ध की तैयारी। किम ने हथियार बनाने के कई बड़े कारखानों का दौरा किया, जिसके बाद वे पूरी तरह युद्ध की मुद्रा में आ गए।

अमेरिका को शक है कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध को लडऩे में रूस की मदद करने के लिए उत्तर कोरिया उसे तोप के गोले, राकेट, मिसाइलें और अन्य असलहा सप्लाई कर रहा है। पिछले महीने उत्तर कोरिया ने एक विशाल डिफेन्स एक्सपो का आयोजन किया था। इस मौके पर एक बड़ी परेड भी हुई। उस समय कोरिया की यात्रा पर आये रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु को किम उनके देश के सबसे नए और सबसे आधुनिक हथियार, जिनमें शामिल हैं बैलिस्टिक मिसाइलें और जासूस ड्रोन, बनाने के कारखानों में ले गए। परेड में भी आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान वहां रूसी और चीनी अधिकारी थे। सरकारी मीडिया के मुताबिक किम जोंग ने हाल में लगातार तीन दिनों तक हथियारों के बड़े कारखानों का निरीक्षण किया। इनमें क्रूज मिसाइलों के इंजन बनाने वाले कारखाने शामिल थे। उन्होंने आव्हान किया कि हथियारों का उत्पादन बढ़ाया जाना चाहिए।

अमेरिका और दक्षिण कोरिया का संयुक्त सैन्य अभ्यास 21 से 24 अगस्त तक होने जा रहा है। उत्तर कोरिया का दावा है कि इस तरह के अभ्यास उसकी सुरक्षा के लिए खतरा हैं और दरअसल, उस पर हमले की रिहर्सल हैं। इस बीच उत्तर कोरियाई गणतंत्र की स्थापना के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 9 सितम्बर को सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त नागरिकों की परेड निकाली जाएगी। इसमें कोई शक नहीं कि दुनिया और उसकी आम चाहतों से दूरी बनाये रहने के बावजूद, उत्तर कोरिया की सैन्य ताकत में ज़बरदस्त वृद्धि हुई है। महामारी के दौरान उत्तर कोरिया को एक दुर्ग में बदल दिया गया था।  चीन के साथ सीमा को सील कर दिया गया था, सीमा पर एक नयी बाड़ लगा दी गई थी और उसे पार करने की कोशिश करने वालों को तुरंत गोली मार देने का हुक्म था। वहां पर्यटकों की आवाजाही पर भी कई तरह की रोके हैं और केवल चुनिंदा देशों के लोगों को आने दिया जाता है।

महामारी भले ही ख़त्म हो गयी हो परन्तु उत्तर कोरिया ने अपने दरवाजे अब भी बंद कर रखे हैं। चीनी और रुसी अधिकारियों,  जिन्हें बाकायदा बुलाया जाता है, के अलावा हाल का एकमात्र अनापेक्षित मेहमान वह अमरीकी सैनिक था जो “रास्ता भटक” कर उत्तर कोरिया में पहुँच गया। बाकी दुनिया से दूर रहने और उनके देश पर तरह-तरह के प्रतिबंधों के बाद भी किम जोंग के पास धन की कोई कमी नहीं है और उनका न्यूक्लियर कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह बात अलग है कि देश के आम नागरिक भूख और कुपोषण से मर रहे हैं। दुनिया उन्हें और उनकी कारगुजारियों को नजऱअंदाज़ कर रही है क्योंकि वह पुतिन के यूक्रेन पर हमले और अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव को ज्यादा अहम मानती है।

उत्तर कोरिया से सुनायी दे रहे युद्ध के नगाड़ों को गंभीरता से लिया जाना होगा। किम और उनके परिवार का देश पर शिकंजा कसता जा रहा है। हथियारों का उसका जखीरा बड़ा होता जा रहा है। उसमें नए-नए किस्म के हथियार शामिल हो रहे हैं। फिर, चीन और रूस पूरी तरह किम जोंग के साथ हैं। एक समय था जब चीन और रूस भी संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा उत्तर कोरिया पर लगाये गए प्रतिबंधों का पालन करते थे। परन्तु किम जोंग के रूस के यूक्रेन पर हमले को ज़ोरदार और खुल्लम-खुल्ला समर्थन के बाद से रूस और चीन संयुक्त राष्ट्र संघ में उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रस्तावों को पास नहीं होने दे रहे हैं। इसके साथ ही किम परिवार के अंदरूनी झगड़े भी सुलझ गए हैं। उनकी बहन को काम दिया गया है और दुनिया को बता दिया गया कि किम की लडक़ी उनकी उत्तराधिकारी होगी। अब किम चिंतामुक्त होकर युद्ध की तैयारी कर सकते हैं।सो दुनिया के आगे खतराहै। रूस और चीन अकेले नहीं हैं और ना ही उत्तर कोरिया। तीनों एक-दूसरे के साथ हैं।

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