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दिसंबर में रेपो 0.50 प्रतिशत बढ़ा सकता है रिजर्व बैंक  : एसबीआई रिसर्च

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दिसंबर के मध्य में अपनी नीतिगत ब्याज दर रेपा में आर 0.50 प्रतिशत बढ़ाएगा, यह अनुमान भारतीय स्टेट बैंक के अनुसंधान प्रभाग एसबीआई रिसर्च की जारी एक रिपोर्ट में लगाया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सितंबर में रेपो 0.50 प्रतिशत ऊंची कर 5.9 प्रतिशत कर दिया था ताकि बैंकों का कर्ज महंगा हो और मुद्रास्फीति की प्रत्याशा पर लगाम और कसी जा सके। बैंक इस साल रेपो में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।
एसबीआई रिसर्च की ताजा मासिक रिपोर्ट ईकोरैप में कहा गया है,  आरबीआई की 3 नवंबर 2022 की बैठक नियमित बैठक नहीं है और यह केवल एक नियामकीय दायित्व के तहत बुलाई गयी है।भले ही यह बैठक 2 तारीख की अमेरिकी फेड रिजर्व की बैठक के एक दिन बाद निर्धारित की गयी है पर हम इस बैठक में किसी अन्य एजेंडे की घोषणा की उम्मीद नहीं करते हैं।

इस रिपोर्ट में अमेरिका में तीसरी तिमाही में निजी क्षेत्र की वेतन वृद्धि में काफी नरमी का उल्लेख किया गया है। दूसरी तिमाही के 1.6 प्रतिशत कीतुलना में तीसरी तिमाही में वेतन वृद्धि 1.2 प्रतिशत बढ़ी। यह दर्शाता है कि स्फीति प्रेरित मजदूरी वृद्धि का दौर हल्का हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में उपभोक्ता खर्च की वृद्धि दूसरी तिमाही के 2.0 प्रतिशत की जगत तीसरी तिमाही में 1.4 प्रतिशत रही। अमेरिकी आर्थिक गतिविधियों में दो-तिहाई से अधिक योगदान उपभोक्ता खर्च कहा है।
एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मौद्रिक नीति समिति की बैठक के हाल के विवरण से लगता है कि कुछ सदस्य नीतिगत दर वृद्धि के चक्र को जल्द खत्म होना देखना चाहते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल अक्टूबर में देश के कई हिस्सों में बेमौसम बारिश खरीफ फसलों को काफी प्रभावित किया है जिसका खाद्य मुद्रास्फीति पर दबाव बन सकता है। सितंबर की खाद्य मुद्रास्फीति 8.4 प्रतिशत है। खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची होने पर दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति को 7.5 प्रतिशत की तरफ बढ़ा सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आम सहमति है कि रिजर्व बैंक की फौरी उधार पर ब्याज दर ( रेपो दर) अधिकतम 6.5 प्रतिशत तक जा सकती है पर अब भी इसको सोच पाना कठिन हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकिंग प्रणाली में पिछले चार दिन से तरलता की कमी लगातार 60,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पर चल रही है और बैंकों ने अक्टूबर में अपनी जमा दरों में बढोतरी की है।

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