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खाद्य तेल के आयात में खर्च हुए 1.17 लाख करोड़ रुपए

नई दिल्ली। भारत के खाद्य तेल आयात के सालाना आंकड़े आ गए हैं। अक्टूबर में समाप्त हुए विपणन वर्ष 2020-21 के दौरान देश का खाद्य तेल आयात लगभग 131.3 लाख टन पर स्थिर बना रहा। वहीं, मूल्य के संदर्भ में खाद्यतेलों का आयात 63 प्रतिशत बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपए हो गया। वनस्पति तेल का विपणन वर्ष, जिसमें खाद्य तेल और अखाद्य तेल शामिल हैं, नवंबर से अक्टूबर तक चलता है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने एक बयान में कहा, ”तेल वर्ष 2020-21 के दौरान वनस्पति तेलों का आयात 135.31 लाख टन (एक करोड़ 35.3 लाख टन) दर्ज किया गया है, जबकि वर्ष 2019-20 के दौरान यह 135.25 लाख टन था।ÓÓ इसमें कहा गया है कि वनस्पति तेलों का आयात पिछले छह साल में दूसरी बार सबसे कम है।

आंकड़ों के अनुसार, खाद्य तेल का आयात वर्ष 2020-21 में पिछले वर्ष के 131.75 लाख टन से घटकर 131.31 लाख टन रह गया, जबकि अखाद्य तेल का आयात 3,49,172 टन से बढ़कर 399,822 टन हो गया। एसईए ने कहा कि मूल्य के संदर्भ में, खाद्य तेल का आयात वर्ष 2021-21 में 1,17,000 करोड़ रुपए का हुआ जो वर्ष 2019-20 में 71,625 करोड़ रुपए का हुआ था। एसोसिएशन ने कहा कि भारत सरकार द्वारा पिछले कुछ महीनों में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में लगातार बदलाव ने भी आयात के तौर तरीकों को बिगाड़ दिया है। वर्ष 2019-20 के दौरान 4.21 लाख टन की तुलना में 2020-21 में रिफाइंड तेल का आयात मामूली बढ़कर 6.86 लाख टन हो गया, जबकि कच्चे तेल का आयात 127.54 लाख टन की तुलना में मामूली घटकर 124.45 लाख टन रह गया।

इन देशों से होता है आयात : इंडोनेशिया और मलेशिया भारत को आरबीडी पामोलिन और कच्चे पाम तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं। कच्चा सोयाबीन तेल मुख्य रूप से अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात किया जाता है जबकि कच्चा सूरजमुखी तेल मुख्य रूप से यूक्रेन, रूस और अर्जेंटीना से आयात किया जाता है। एक नवंबर को विभिन्न बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का स्टॉक 5,65,000 टन और पाइपलाइन स्टॉक 11,40,000 टन होने का अनुमान है, जो कुल मिलाकर 17,05,000 टन है। एक अक्टूबर तक स्टॉक 20.05 लाख टन से घट गया है।

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