देखिये क्यों सता पूर्व सीएम को अब पार्टी का डर, जानिए कैसी है कशमकश
देहरादून। पिछले दो वर्षों से लगातार कुमाऊं के पिथौरागढ़-लिपुलेख मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा संचालित नहीं हुई है। इस बार भी अब तक कोई हलचल नहीं दिखाई दे रही है। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस संबंध में अपनी बात रखी है।
हरीश रावत ने कहा कि दो वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण यात्रा का संचालन नहीं हो पाया, यह तो समझ में आता है, लेकिन इस बार भी यात्रा के संचालन को लेकर कुछ सुनाई नहीं दे रहा है। यह एक चिंता का विषय है। आखिर इसमें इतनी सुस्ती क्यों है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हरीश रावत ने कहा कि जब से सिक्किम से कैलाश मानसरोवर यात्रा प्रारंभ हुई, तब से निरंतर एक लॉबी इस कोशिश में है कि कुमाऊं मंडल की ओर से संचालित यात्रा रूट को छोड़ दिया जाए। चीन भी नहीं चाहता कि इस यात्रा का संचालन इस रूट से हो। क्योंकि यह काला पानी के जिस इलाके से होकर गुजरती है, चीन, सीमा विवाद के उस प्रसंग को उकसाने में भी नेपाल के पीछे है।
हरदा की हर छोटी-बड़ी बात सोशल मीडिया पर
चीन के लिए असुविधाजनक होते हुए भी हमारे लिए एक बेहतर व्यापार मार्ग भी कैलाश मानसरोवर का यह यात्रा मार्ग उपलब्ध करवाता है। न जाने क्यों केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में अपेक्षित रुचि क्यों नहीं दिखाई जा रही है।हरीश रावत सोशल मीडिया पर हर छोटी-बड़ी बात को शेयर करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनकी अधिकतर पोस्ट आशा और उत्साह से भरी होती हैं।
पता नहीं कांग्रेस मुझे अपने साथ कितने दिन जोड़े रखेगी
पहला मौका है, जब उनकी एक पोस्ट में निराशा झलक रही है। उनका कहना है कि चुनाव में हार के बाद बहुत से अपने लोगों ने उनसे दूरी बना ली है। बकौल हरीश, हारे हुए व्यक्ति में रुचि कम होना स्वाभाविक है। कांग्रेस में भी मुझ पर रुचि घटती जा रही है, पता नहीं कितने दिन कांग्रेस मुझे अपने से जोड़े रखना चाहती है।