उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल को जमकर लगाई फटकार,जानिएं कारण?
आयोग ने की सख्ती तो UPCL ने ठेकेदार को किया ब्लैकलिस्ट
देहरादून। वर्ष 2017 में यूपीसीएल ने उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि प्रदेश में राजस्व वसूली का लक्ष्य हासिल करने के लिए 11 करोड़ 20 लाख रुपये कीमत से 158 बिल जमा केंद्र बनाए जाएंगे। इस प्रस्ताव को नियामक आयोग ने हरी झंडी दे दी थी। जिसके बाद इन बिल जमा केंद्रों का काम शुरू हुआ, लेकिन कुमाऊं में 28 केंद्रों पर काम शुरू होने के साथ ही ठेकेदार पीछे हट गए। जिससे यूपीसीएल के इन केंद्रों पर काम अटक गया।447 करोड़ से अधिक के घाटे से जूझ रहा उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) अपने ही बिजली बिलों की वसूली के लिए बिल जमा केंद्र नहीं बना पा रहा है। पांच साल से चल रही इस प्रक्रिया पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल को कड़ी फटकार लगाते हुए 31 जुलाई तक हर हाल में काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में कई जगहों पर लोग ऑनलाइन बिजली बिल भुगतान को लेकर जागरूक नहीं हैं। आज भी तमाम लोग यूपीसीएल के दफ्तरों में जाकर बिल भुगतान करते हैं। इनकी सुविधा के लिए बिल जमा केंद्रों का प्रस्ताव आया था। यहां उपभोक्ताओं को सभी सुविधाएं देने के साथ ही बिल भुगतान की प्रक्रिया आसान हो जाती है। इससे यूपीसीएल के राजस्व में भी बढ़ोतरी का अनुमान ।
यूपीसीएल प्रबंधन कोरोना महामारी का बहाना बनाकर इस काम को लगातार टालता रहा। यहां तक की डेढ़ साल का समय महामारी के नाम पर ही काट दिया। आयोग ने यह भी माना कि यूपीसीएल की यह बड़ी लापरवाही है। आयोग ने अपने आदेश में यूपीसीएल को फटकार लगाते हुए आदेश दिया है कि 31 जुलाई तक हरहाल में सभी बिल जमा केंद्रों का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाए।तब तक इसके निर्माण की हर महीने की प्रगति रिपोर्ट आयोग के सामने पेश की जाए। यह आदेश आयोग के सदस्य तकनीकी एमके जैन और सदस्य विधि एवं कार्यवाहक अध्यक्ष डीपी गैरोला की पीठ ने सुनाया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि यूपीसीएल ने इस बार 447 करोड़ से ऊपर के घाटे में खुद को बताते हुए इससे उबरने का तीन साल का प्लान नियामक आयोग के समक्ष पेश किया है।