आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद मृत्यंजय मिश्र की बहाली पर विजिलेंस के सवाल, पत्र आया सामने
देहरादून। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर मृत्युंजय मिश्रा को बहाल करके प्राइम पोस्टिंग देने के मामले में उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार सवालों के घेरे में आ गयी है। विजिलेंस ने शासन को लिखे पत्र में कहा है कि आयुर्वेद विवि के कुलसचिव के पद पर मृत्युंजय मिश्रा की पोस्टिंग उचित नहीं है। क्योंकि मिश्रा के खिलाफ जांच के बाद केस अदालत में ट्रायल पर है। इस मुक़दमे में गवाह भी आयुर्वेद विवि के अधिकारी हैं। ऐसे में यदि मिश्रा यहां कुलसचिव रहेंगे तो गवाहों पर दबाव बनाने की आशंका रहेगी। विजिलेंस की चिट्ठी के बाद इस मामले में शासन के अधिकारियों के साथ ही विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत की भूमिका संदिग्ध होने के साथ पूरी सरकार कटघरे में आ गयी है। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए बस इतना ही कहा कि वह इस मामले को दिखवा रहे हैं।
आपको बता दें कि सरकार ने डा मृत्युंजय कुमार मिश्रा का निलंबन समाप्त कर उन्हें उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद पर बहाल कर दिया है। साथ ही डा. मिश्रा को निलंबन अवधि का वेतन भुगतान नियमानुसार करने के आदेश भी दिए गए हैं। आयुष शिक्षा सचिव चंद्रेश कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी किया।
आदेश में बताया गया कि डा मिश्रा के खिलाफ 25 जुलाई, 2018 से जारी सतर्कता जांच के क्रम में विभागीय स्तर पर जांच अधिकारी की नियुक्ति और विभागीय अनुशासनिक जांच कराने को शासन ने औचित्यपूर्ण नहीं पाया है। डा. मिश्रा का निलंबन इस प्रतिबंध के साथ समाप्त किया गया है कि सतर्कता विभाग की जांच रिपोर्ट प्रशासनिक विभाग को प्राप्त होने पर गुण दोष के आधार पर यथोचित कार्यवाही की जाएगी। मृत्युंजय मिश्रा को 27 अक्टूबर, 2018 को कुलसचिव पद से निलंबित कर आयुष शिक्षा सचिव कार्यालय से संबद्ध किया गया था। तीन दिसंबर, 2018 को मिश्रा को गिरफ्तार कर जिला कारागार में भेजा गया था।
उधर, आयुष शिक्षा सचिव ने अलग आदेश जारी कर आयुर्वेद विश्वविद्यालय में ही कुलसचिव पद पर अस्थायी रूप से तैनात किए गए डा राजेश कुमार अदाना को उप कुलसचिव का प्रभार दिया गया है। नियमित उप कुलसचिव की तैनाती तक यह प्रभार सौंपा गया है। डा राजेश कुमार को इस प्रभार के लिए अलग से वेतन-भत्ते देय नहीं होंगे। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।