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युवाओं में तेजी से क्यों बढ़ती जा रही है फैटी लिवर की समस्या, आइये जानते हैं इसके कारण और बचाव के उपाय 

लाइफस्टाइल और आहार की गड़बड़ी ने कई प्रकार की बीमारियों के खतरे को काफी बढ़ा दिया है। इसका संपूर्ण स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लिवर-किडनी सहित कई अंगों की बढ़ती बीमारियों के लिए भी इसे एक कारण माना जा सकता है।

लिवर की बढ़ती बीमारियों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ अलर्ट करते हैं। लिवर से संबंधित समस्याओं पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो इसके जानलेवा दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। लिवर की बढ़ती बीमारियों के बारे में लोगों को अलर्ट करने और इससे बचाव को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है।

डॉक्टर कहते हैं, युवाओं में फैटी लिवर की दिक्कत तेजी से बढ़ती जा रही है। फैटी लिवर (हेपेटिक स्टीटोसिस) होने पर लिवर की कोशिकाओं में अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है। सही इलाज न मिलने पर यह बीमारी फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर का रूप ले लेती है।

इसके गंभीर मामलों में लिवर सामान्य काम करना बंद कर देता है, जिसके बाद लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचता है। इस बीमारी का कोई सटीक उपचार नहीं हैं, लेकिन जीवनशैली और खानपान में कुछ बदलाव करके इसके नुकसान को रोकने या ठीक करने में मदद मिल सकती है।

क्यों बढ़ती जा रही है लिवर की ये समस्या

अल्कोहल के अत्यधिक सेवन, मोटापे, हाई कोलेस्ट्रॉल और टाइप-2 डायबिटीज की वजह से फैटी लिवर का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। इसके अलावा अधिक मात्रा में तेल और वसा युक्त भोजन करने, शरीर का वजन अधिक होने, इंसुलिन प्रतिरोध होने पर, रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर, तेजी से वजन कम होने से भी फैटी लिवर हो सकता है।

कहीं आपको भी तो नहीं हो रही हैं ये दिक्कतें

फैटी लिवर होने पर पेट के ऊपरी दाहिने भाग में हल्का दर्द या बेचैनी महसूस हो सकती है। इसके अलावा पेट में भारीपन और जल्दी थकान एवं कमजोरी महसूस करना, भूख न लगना, त्वचा और आंखों का पीला पड़ना, वजन कम होना, पीलिया, पेट, पैरों और पंजों में सूजन दिखाई दे सकती है। यदि आप इन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं तो चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

फैटी लिवर से बचने के लिए आप फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करें। मीठे पेय पदार्थों, मिठाइयों और उच्च ट्रांस वसा वाले प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों, जैसे- फलियां, और साबुत अनाज लिवर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसके अलावा एवोकाडो, नट्स, बीज को आहार में शामिल करें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। अधिक से अधिक ताजा जूस, जैसे- नारियल पानी या नींबू पानी पीएं।

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए इन बातों पर भी दें ध्यान

तेजी से वजन घटाने से फैटी लिवर की समस्या बढ़ सकती है। इसलिए आहार और व्यायाम से प्रति सप्ताह 1-2 पाउंड वजन धीरे-धीरे और स्थायी रूप से घटाने का लक्ष्य रखें। शरीर के वजन में 5-10 प्रतिशत की कमी भी लिवर के स्वास्थ्य में काफी सुधार कर सकती है। इसलिए धीरे-धीरे वजन घटाने के तरीकों को अपनाएं। नियमित व्यायाम, जैसे-तेज चलना, साइकिल चलाना या तैराकी जरूर करें।
अल्कोहल का सेवन न करें। दवाओं का इस्तेमाल निर्देशानुसार करें और उन दवाओं से बचें, जो लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
यदि आपको मधुमेह है तो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखें।
कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित बनाए रखने के लिए आहार, व्यायाम और यदि आवश्यक हो तो दवाओं का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के बाद करें।
समय-समय पर रक्त परीक्षण से लिवर एंजाइम के स्तर और उसके स्वास्थ्य पर नजर रखने में मदद मिल सकती है।

कम उम्र में ही बढ़ रहा जोखिम

खासकर शहरी क्षेत्रों में। युवाओं में इसके प्रसार के लिए अक्सर खराब आहार, गतिहीन जीवनशैली, मोटापा और आनुवंशिक कारकों के संयोजन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। जब लिवर पर अतिरिक्त वसा का बोझ बढ़ जाता है तो रक्त से विषाक्त पदार्थों को छानने और पोषक तत्वों को संसाधित करने की क्षमता कम हो जाती है। फैटी लिवर से रोगी को दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है।

(साभार)

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